August 4, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स : संक्षिप्त रिपोर्ट

     कॉमनवेल्थ की बयार इतनी तेज चल रही है कि इसमें सभी अपनी - अपनी पतंगे उड़ाना चाहते हैं। आयोजकों को तिजोरियां भरने का सुनहरा मौका मिला, सरकार को मंहगाई बढ़ाने का मौका मिला और विपक्षी पार्टियों को नमक - मसाला लगा मुद्दा मिला। सभी अपनी - अपनी पतंगे इस तेज हवा में उड़ाना चाहते हैं। गरीबों के दुःख में तो कॉमनवेल्थ ने आग में घी का काम किया। किसी ने सच ही कहा है -
अंधेर नगरी चौपट राजा
टका शेर भाजी टका शेर खाजा
     दीपक के बुझने से पहले लौ तेज हो जाती है उसी तरह इस हवा के बंद होने कि उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और कॉमनवेल्थ को लेकर हर तरह का हो-हल्ला मचा है। एक दुसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप भी अपने चरम पर है। दिल्ली को हर कोने से चाक-चौबंद किया जा रहा है पर तैयारियों को देखकर तो ऐसा लग रहा है कि जैसे तैयारी के नाम पर झाड़ू-पोछा लगाया जा रहा हो। इस झाड़ू-पोछे के लिए 440 मिलियन डॉलर का अनुमान लगाया गया था जो बढ़ते-बढ़ते 2.5 बिलियन डॉलर से भी ऊपर पहुँच गया। कहीं नई सड़कें धँस रहीं हैं तो कहीं टाईलें उखड़ रहीं हैं। स्टेडियमों को चाक-चौबंद करने के लिए 150 करोड़ का अनुमान था जो बढ़कर 4000 करोड़ से भी ऊपर चला गया और स्टेडियम अभी भी दुरुस्त नहीं हो पायें हैं। दिल्ली सरकार तो अनुमान लगाने में फेल हो गई जिसका फल आम जनता को महंगाई के रूप में मिला। अगर कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत कि मटिया-पलीद हुई तो इसकी सारी जिम्मेदारी सरकार कि होगी। हमें अपनी मजबूती देखने के बाद ही ओखल में सिर देना चाहिए था। तैयारियों के खर्चे को लेकर सही अनुमान लगा होता तो शायद आम जनता को इतनी महंगाई ना झेलनी पड़ती। असली आंकड़ों के मुताबिक हम अभी उस लायक नहीं हुए हैं कि इतने बड़े आयोजन का जिम्मा ले सकें। ना जिम्मा लेते ना ही इसकी आड़ में बढ़ी महंगाई कि मार झेलते। सच तो ये है कि विकासशील देशों के लिए इतने बड़े आयोजन कभी भी फायदेमंद साबित नहीं हो सकते

8 comments:

  1. कामन वेल्थ नहीं कामन लुट हो रही है

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  2. पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए!
    बहुत बढ़िया और सठिक लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!

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  3. सचमुच विचारणीय मुद्दा है !

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  4. पता नहीं क्या होगा देश का।

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  5. अंधेर नगरी चौपट राजा।
    टका शेर भाजी टका शेर खाजा।।

    hamaare desh ka yahi haal hai...aapane sahi mudda uthhaya hai!

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  6. कामन गेम में वेल्थ भी कामन हो रही है नेताओं के बीच ...

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  7. आपका यह आलेख मीडियाई भाषा का उबाल हैं,ये सब सतत चलने वाली प्रक्रिया हैं, जैसे हमारे घर में होते मंगलकार्यो में अफरातफरी रहती हैं वही हैं, अगर ये आयोजन न होते तो बचत का हिस्‍सा हमारे आपके घर तो कोई पहुचा नही देता ......सतीश कुमार चौहान , भिलाई

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तेजी से भागते हुए कालचक्र में से आपके कुछ अनमोल पल चुराने के लिए क्षमा चाहता हूँ,
आपके इसी अनमोल पल को संजोकर मैं अपने विचारों और ब्लॉग में निखरता लाऊंगा।
आप सभी स्नेही स्वजन को अकेला कलम की तरफ से हार्दिक धन्यवाद !!

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