बहुत दिन से दिल में इच्छा हो रही थी की मैं भी अपने विचारों को लोगों तक पहुचाऊं। इसके लिए मैं एक अच्छे मंच की तलाश में था। मेरे एक मित्र ने मुझे ब्लॉग लेखन का सुझाव दिया और अपने ब्लॉग का पता भी दिया। मित्र के ब्लॉग को देखने के बाद मुझे मेरी मंजिल दिखाई देने लगी। जरिया तो मुझे मिल गया अब बारी थी उसको एक पहचान देने की। मेरे मित्रों ने भी मुझे बहुत से सुझाव दिए। अंततोगत्वा ब्लॉग को पहचान के तौर पर अकेला कलम नाम मिला। चूँकि मैं 'राम की नगरी' से संबंध रखता हूँ, जहाँ बच्चों को व्याकरण की दृष्टी से शुद्ध हिन्दी का ज्ञान विरासत में मिलता है। आगे की शिक्षा-दीक्षा भी मैंने हिन्दी में विशेष दक्षता से पूरी की। इन सब कारणों से मुझे अकेला कलम नाम स्वीकार करने में असहजता महसूस होने लगी थी। मेरे गुरु जी ने भी इसको व्याकरण की दृष्टी से गलत ठहराया। अकेला कलम की एक सच्चाई यह भी है की मैंने इसको मिटा दिया था और अपने नाम से एक नए ब्लॉग (Satya`s Blog) को पहचान दी। फिर क्या था अकेला कलम की उलझन तो दूर हो गई। परन्तु अब ये अकेला कलम मैं और मेरे मित्रों के बीच बहस का मुद्दा बन गया। कुछ पक्ष में थे तो कुछ इसके विपक्ष में। इस बहस का हल ये निकला की मैं त्रुटि को नजरंदाज करके अकेला कलम को वापस ले आया। धीरे-धीरे अकेला कलम की आदत सी होने लगी। मेरे कुछ स्वजन समय-समय पर मेरी इस त्रुटि को ताजगी प्रदान करते रहे हैं। हाल ही में राजेश उत्साही जी तथा अख्तर खान अकेला साहब ने भी मेरा ध्यान इस त्रुटि की ओर आकृष्ट करने की खुबसूरत पहल की। जिनका मैं तहे-दिल से शुक्रगुजार हूँ।
अब मैं इस प्रकरण पर आप सब को आदरणीय मानते हुए यह चाहता हूँ की आप सभी लोग मेरी सहायता करें। आप सभी के बहुमूल्य विचारों को मैं सर्वोपरि मानकर अनुसरण करूँगा। इस ब्लॉग का नाम अकेला कलम (जो की व्याकरण की दृष्टी से सही नहीं है) ही होना चाहिए या फिर अकेली कलम होना चाहिए। मैंने आप सब को अपना मानकर दिल की बात आप सब के सामने पेश कर दी। अब आप अपने विचारों के माध्यम से मुझे इस प्रकरण का हल निकालने में मेरी सहायता करें।
धन्यवाद सहित।
धन्यवाद सहित।
- सत्यप्रकाश पाण्डेय
....अकेला कलम ठीक ही है!...क्यों कि कुछ अलग सा लगना ब्लॉग के आकर्षण में बढोतरी करेगा!..मेरे ब्लॉग 'मेरी माला,मेरे मोती..' का नाम मैने पहले 'mala motion ki...' रखा था!..किसी ने मेरा ध्यान इस तरफ खिंचा कि इंग्लिश में मोतियों के स्पेलिंग 'motion'हास्यास्पद लग रहे है!..मैने ब्लॉग का नाम तुरन्त बदल दिया!...कभी कभी ऐसा भी होता है!
ReplyDelete"एकला कलम" कर लें।
ReplyDeleteअकेला कलम कुछ जम नहीं रहा..........
ReplyDeleteअपने गुरु ओर अपने बडो की सलाह माने यही उचित है,
ReplyDeleteआपने लिखा की आकेला कलम व्याकरण की दृष्टि से अशुद्ध है ...
ReplyDeleteकलम शब्द .... आज भी भ्रमित किये हुए है ...यह पुल्लिंग के रूप में भी प्रयोग होता है ...ऐसी ही दुविधा को लेकर मैंने भी ब्लॉग में एक पोस्ट डाली थी ..आप यहाँ पढ़ें ..
http://geet7553.blogspot.com/2010/02/blog-post_20.html
अकेला कलम सही लगने लगेगा
अकेले एहसास hi ker dijiye na , sara dwand khatm
ReplyDeleteअकेला तो केला होता है. कलम अकेली हो सकती है.
ReplyDeleteसिर्फ अलग दिखाने के लिए आप गलत को चुनें, मैं इसे ठीक नहीं समझता.
ब्लॉग का पता तो बदल नहीं सकते, नाम ही बदल सकते हैं.
"कलम अकेली" रख लें...अलग भी है और व्याकरण की दृष्टि से सही भी...:))
ReplyDeleteनीरज
@संगीता जी
ReplyDeleteसंगीता जी कलम शब्द को लेकर इनती उठापटक हो गई की मैंने कलम को स्त्रीलिंग ही मान लिया,
आपने तो कलम (पु.) के बहुत से सुबूत दिए हैं अपने लेख में,
लेख को पढ़ कर मनोबल बढ़ गया,
शुक्रिया !!
यदि आप लोग भी संगीता स्वरुप (गीत) जी के लेख को पढना चाहते हैं तो नीचे के लिंक पर क्लिक करें:-
ReplyDeleteकलम आपकी या आपका
मुझे तो बहुत बढ़िया लगा! आप नीरज जी की सलाह मान सकते हैं! सभी बहुत बड़े बड़े लेखक हैं और ठीक कह रहे हैं!
ReplyDeleteमुझे तो अकेला कलम ही ठीक लग रहा है जब मैंने ये पहली बार पढ़ा तो मुझे ये अच्छा ही लगा और अगर अब इसे बलदा जायेगा तो जरुर अजीब लगेगा !
ReplyDeleteभले ही "कलम अकेली" हो... मुद्दा पचलन का है.
ReplyDeleteजब लल्लू व रबड़ी चल निकलने में सफल हो सकते हैं तो कुछ भी चल सकता है :)
साहिर जी का एक गाना सुना था। उसमें उन्होंने कहा है
ReplyDelete"क़लम हाथ से छूट जाता तो होगा!"
क्या वो भी ग़लत थे?
हां, एक बात बताना छूट गया --
ReplyDeleteयह क़लम है।
कलम नहीं।
मुझे तो 'एक अकेली कलम' ठीक लगती है या फिर 'अकेली कलम' भी चलेगी.
ReplyDeleteपाण्डेय जी ,
ReplyDeleteप्रवीण जी की बात मान लें !
akela chalaa thaa main...tha main...tha main... main aayaa akelaaaaaaaaa mere sang-sang aayaa tere kalam ke shabdon ka melaa....chaddo yaa yaar ki farak paindaa....aap to bas ji rache jaao... maalaa shabdon kee...varmala ban jaaye yah blog tumhara....!!!!
ReplyDeleteसत्य प्रकाश जी ,
ReplyDeleteसंगीता जी की उक्त पोस्ट पर मुझे ये दो टिप्पणियां मिलीं हैं। आपने भी देखी ही होंगी। इन दो संवादों से सारी बात साफ हो जाती है। आगे आप जैसा उचित समझें।
अजित वडनेरकर, 3/04/2010 6:39 PM
भाषा लगातार परिवर्तित होती है। व्याकरण व स्वरूप भी लोकसंस्कारों के आधार पर तय होता है। हम जिस कलम का भाषा में प्रयोग करते हैं वह बरास्ता अरबी, फारसी हिन्दी में दाखिल हुई। उर्दू में अरबी, फारसी का संस्कार है सो वहां क़लम पुल्लिंग सही है किन्तु हिन्दी जनमानस ने कलम ने हिन्दी की लेखनी वाला भाव ग्रहण करते हुए इसे स्रीवाची संज्ञा माना है। इसमें कोई संशय नहीं होना चाहिए कि हिन्दी में जो कलम है उसका प्रयोग स्रीवाची की तरह ही किया जाना सही है। भाषा में हमेशा ध्यान रहना चाहिए कि लोकप्रिय उच्चारण, प्रयोग ही टिकते हैं। व्याकरण और ग्रंथों से ढूंढ ढूंढ कर बहुत से तथ्य तलाशे जा सकते हैं जो हमारी भाषा को अशुद्ध करार दे सकते हैं। किन्तु इसका कोई औचित्य नहीं है। हमारे कोशकारों ने भी अभी तक कोई ऐसा कोश नहीं बनाया है जो शुद्ध अशुद्ध से हटकर प्रचलित और लोकप्रिय उच्चारण को सही ठहराने की हिम्मत करते हुए आम लोगों का मार्गदर्शन करता हो।
sangeeta swarup, 3/04/2010 10:45 PM
अजीत जी,
आज आपकी प्रतिक्रिया पा कर मन संतुष्ट हुआ....वैसे तो मैंने भी मान ही लिया था कि हिंदी में कलम को स्त्रीलिंग के रूप में ही प्रयोग किया जाना चाहिए...पर किसी के टोकने पर ही ये बात मस्तिष्क में आई और अपने संशय निवारण हेतु ही मैंने इसे पोस्ट बना कर ब्लॉग पर डाला था ...आपका बहुत बहुत शुक्रिया
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ReplyDeleteलीजिए मुझे भी दो शब्दकोश मिल गए जिनमें कलम को स्त्रीलिंग बताया गया है। एक है नागरी प्रचारणी सभा,काशी द्वारा 1971 में प्रकाशित संक्षिप्त हिंदी शब्दसागर,जिसे रामचंद्र वर्मा द्वारा संपादित किया गया है। दूसरा है कमल प्रकाशन का मानक विशाल हिंदी शब्दकोश जिसे कृष्णकांत दीक्षित और सूर्यनारायण उपाध्याय ने संपादित किया है। जानेमाने भाषाविद् डा.भोलानाथ तिवारी ने अपनी किताब 'अच्छी हिंदी- कैसे बोलें कैसे लिखें में ऐसे अनेक शब्दों की चर्चा की है जिनमें स्त्रीलिंग या पुर्लिंग का झगड़ा है। यह किताब लिपि प्रकाशन से है।
ReplyDelete@उत्साही जी
ReplyDeleteउत्साही जी बहुत-बहुत शुक्रिया मार्गदर्शन करने के लिए,
आशा करता हूँ की भविष्य में भी इसी तरह आपका मार्गदर्शन मिलता रहेगा
दोस्त
ReplyDeleteमैं भाषा और व्याकरण के पचड़े में न पड़कर सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि कलम कभी अकेली नहीं होती
कलम के साथ बहुत लोग होते हैं और कलम भी बहुत से ईमानदार लोगों का साथ देती है.
कलम जो मेरी है.. कैसा रहेगा
its all greek to me
ReplyDeleteयहाँ यह बहस मुझे बेमानी लगती है कि कलम अकेली हो या अकेला,क्योंकि व्याकरणिक द्रष्टि से तौलेंगे तो ब्लॉग-लेखन का कार्य दुरूह हो जाएगा. वैसे भी कलम चूंकि ताकत का प्रतिक है तो 'अकेला'कहने में ज्यादा वज़न और ताकत आती है.....
ReplyDeleteइतने बड़े बड़े लोगों ने चर्चा की है तो मैं कुछ नहीं कह सकती ये चर्चा पढ़ कर कुछ सीख ही रही हूँ
ReplyDeleteजरा मनोज कुमार जी और संतोष त्रिवेदी जी की बात पर गौर फरमायें ।
ReplyDeleteवैसे ’तंन्हा कलम’ ,’कलम की बात ’’कलमनामा ’या फिर ’बोल कलम के ’आदि पर भी विचार कर सकते हैं ।
aapki is post se hmara bhi bhut gyan vrdhn hua . comments ne sone pe suhage ka kam kiya . hum sub aise hi ek dusre se sikhte hai. bhut achchha lgta hai
ReplyDelete....जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई!.... सब मंगलमय हो!
ReplyDeleteअरे छोडिये न इतना कन्फयुजन में काहे फसना । कुछ इधर गौर फरमाईये ...
ReplyDeleteतीखी कलम
कलम के वार
कलम के पुजारी
कलम_वीर
बेजुबानों की कलम
पैनी कलम
एक कलम एैसी भी
धारदार कलम!
ReplyDelete(मेल-फीमेल का पचड़ा ही ख़तम! क्यूँ? हो गया ना....!)
आशीष
--
अब मैं ट्विटर पे भी!
https://twitter.com/professorashish
तन्हा कलम
ReplyDeleteअकेला कलमकार
ReplyDeleteये कैसा रहेगा?
..
ReplyDeleteजब कलम आपके साथ है तो फिर ,न ही आप अकेले हैं, न ही आपकी कलम ।
" मैं और मेरी कलम "
आभार।
..
यदि अकेला कलम के आगे कुछ बिंदु लगा दिए जाएँ ( अकेला कलम........) तो चला आ रहा नाम चलता रहेगा और व्याकरण दोष भी नहीं रहेगा |अकेला कलम ( चलाने वाला / ले जा रहा/ का गुलाम) आदि कुछ भी हो सकता है | हाँ 'क़लम' नहीं, 'कलम' ही चलने दें | हिन्दी में कलम ही प्रचलित है |
ReplyDeleteकलम की इतनी व्याख्या ...पढ़कर काफी ज्ञान मिला....हिंदी में जो प्रचलित है उसे ही मानना आज की आवश्यकता है......जहां तक हो सके भाषा को मजबूती प्रदान करना ही हमारे उद्धेश्य होना चाहिए...न कि अनावश्यक प्रयोग करके उसे कमजोर कर दें. जो भाषा पहले ही काफी कराह रही है......
ReplyDeleteलोगो ने इतनी राय दी है अब बाकी आपकी मर्जी....
पर बेहतर है जल्दी निर्णय लें ताकि असली काम पर आप आ सकें....
अब तक तो आपकी दुविधा खत्म हो गई होगी ।
ReplyDeletekalam to akeli hi sahi lagegi....
ReplyDeleteA Silent Silence : Shamma jali sirf ek raat..(शम्मा जली सिर्फ एक रात..)
Banned Area News : Rare book on political and economic history of India digitized
hmm..tanha kalam ...mera vote bhi rakesh ji ko :)
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteab tak to sabhi ke salaah aa gaye aur mujhe kahne ki jaroort nahi kuchh ,sangeeta ji ka saboot sabhi sandeh ko mita diya .kai fayde huye is charcha se .uttam .
ReplyDeletebahtrin post hai jnab
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