प्रेमचंद मेरे प्रिय कहानीकारों में से हैं, आज उनकी एक प्रसिद्ध कहानी 'ईदगाह' की समीक्षा आपके साथ साझा कर रहा हूँ।
'बाल मनोविज्ञान' पर आधारित 'ईदगाह' कहानी प्रेमचंद की उत्कृष्ट रचना है। इसमें मानवीय संवेदना और जीवनगत मूल्यों के तथ्यों को जोड़ा गया है। ईदगाह कहानी मुसलमानों के पवित्र त्यौहार ईद पर आधारित है जो की शीर्षक से स्पष्ट है। पवित्र माह रमज़ान के पूरे तीस रोजों के बाद ईद आने पर मुसलमान परिवारों में विशेषकर बच्चों में त्यौहार का उत्साह बहुत अधिक प्रभावशाली दिखाई देता है। सभी छोटे-बड़े, गरीब-अमीर वर्ग-भावना से ऊपर उठकर धार्मिक प्रेम की गहरी समझ और सहानुभूति से भरपूर पूरे उत्साह में भरे हुए बड़े-बूढों के साथ-साथ बालकों का दल भी ईदगाह की ओर बढ़ रहा है। सभी बहुत प्रसन्न हैं। हामिद तो सबसे ज्यादा प्रसन्न है। वह चार-पाँच साल का ग़रीब सूरत, दुबला-पतला लड़का, जिसका बाप गत वर्ष हैजे की भेंट हो गया और माँ न जाने क्यों पीली होती-होती एक दिन मर गई। हामिद अब अपनी बूढ़ी दादी अमीना की गोद में सोता है। पहले जितना प्रसन्न भी रहता है।उस नन्हीं सी जान को तो यही बताया गया है कि उसके अब्बा जान रुपये कमाने गए हैं और अम्मी जान अल्लाह मियां के घर से बड़ी अच्छी-अच्छी चीजें लाने गईं हैं। इसीलिए हामिद कि प्रसन्नता में कोई कमी नहीं है और हो भी क्यों? आशा तो बड़ी चीज है और वो भी बच्चों की आशा, इनकी तो बात ही ना करिए। इनकी कल्पना तो राई का पर्वत बना लेती हैं।
हामिद के मित्रों के पास में खर्च करने के लिए पैसे ही पैसे हैं परन्तु खुद हामिद के पास सिर्फ 6 पैसे हैं। आकर्षण के कई स्थान हैं , आकाश की सैर कराने वाला हिडौला, चरखी और अनेक प्रकार के मनभावक खिलौने बच्चों को अपनी तरफ खींच रहे हैं।
मेले में बच्चे खूब खरीददारी कर रहे हैं, मिठाइयाँ खा रहे हैं और मेले का आनंद उठा रहे हैं परन्तु हामिद कुछ चीजों के दाम पूछकर उनमें गुण-दोष विचार कर मेले में आगे बढता रहता है और यही लेखक दिखाना चाहता है की किस प्रकार हामिद जैसों का वर्ग जो अपनी वास्तविक स्थिति को जानते हुए अपने सीमित साधनों से सही मार्ग चुनकर अपने समाज का निर्माण करता है।
हामिद बहुत जागरूक व्यक्तित्व वाला लड़का है, वह जनता है कि उसकी दादी को चिमटे कि बहुत जरुरत है इसीलिए वह मेले में फ़िज़ूल खर्च ना करके चिमटा लेना उचित समझता है। हामिद जब चिमटा लेकर आता है तो उसकी दादी बहुत गुस्सा होती हैं। तब हामिद अपराधी भाव से कहता है - "तुम्हारी अंगुलियाँ तवे से जल जाती थी; इसीलिए मैंने इसे ले लिया।"
हामिद ने यहाँ पर बूढ़े हामिद का रोल निभाया है और बूढ़ी अमीना ने बालिका का रोल निभाया। वह रोने लगी और दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देने लगी। यह मूक स्नेह था, खूब ठोस रस और स्वाद से भरा हुआ।
हामिद अपनी उम्र के अनुसार एक आम बच्चे कि तरह भोला भी है जब बच्चों के बीच जिन्नात का प्रसंग छिड़ा तो हामिद बड़े आश्चर्य से पूछता है -"जिन्नात बहुत बड़े होते होंगे ना।" इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि भोलापन भी उसके चरित्र कि एक विशेषता थी।
कहानीकार ने हामिद के चरित्र में वो सारी विशेषताएं भर दी हैं जो एक मुख्य किरदार निभाने वाले के चरित्र में होनी चाहिए।
जहाँ तक मेरा विचार है हामिद कि उम्र 7 से 8 साल के बीच होनी चाहिए थी जो कि कहानीकार ने शायद भूलवश 4 से 5 साल कर दी है। मुझे नहीं लगता कि 4 से 5 साल का बालक इतना जागरूक हो सकता है।
कुल मिलाकर अंत में यही कहा जा सकता है कि कहानीकार ने आर्थिक विषमता के साथ-साथ जीवन के आधारभूत यथार्थ को हामिद के माध्यम से सहज भाषा में पाठक के दिलो-दिमाग पर अंकित करने की अद्वितीय कोशिश की है। - सत्यप्रकाश पाण्डेय
my favorite
ReplyDeletehaaan !
Deletek bro
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Delete7 se 8 saal ki umra ka bhi bachcha agar abhaavgrasta nhi h to kbhi aisa krne ki soch b nhi skta . Dusri baat 4 se 5 saal ke bachche ka aisa krna sahaj ya sulabh yathartha na sahi durlabh yatharth to ho hi skta hai😊
Deleteबहुत सटीक समीक्षा ...यह कहानी मेरी प्रिय कहानी रही है ..आभार
ReplyDeleteReally
DeleteChchvohfihfjydyjdut
Deletesundar samiksha
ReplyDeletesahi kehte ho, lekin samiksha chhoti hoti hai itni badi nahi ! par jo bhi hai, kaafi achhe se likhi gayi hai ! bahut sundar !
DeleteAwesome samiksha
Deleteप्रेम चाँद जी की अमूल्य कृति को कई बार पढ़ा है और हर बार सार्थकता नज़र आती है .... आपने सुंदर विश्लेषण किया है ...
ReplyDeletehum aapse 100% sehmat hai
Deleteyah kahani apne aap me ek misaal hai...sameeksha karke aapne yaad taza kar di.
ReplyDelete...bahut sundar ... badhaai !!!
ReplyDeleteसुप्रसिद्ध कृति की अच्छी समीक्षा
ReplyDeleteकहानी शिक्षाप्रद है!... छोटी उम्र में भी हामिद अपनी दादी के दुःख दर्द को समझ रहा है!....मर्म को छू ने वाली कहानी है यह!....आपने समीक्षा भी बेहद सुंदर की है सत्यप्रकाश जी!...शुभकामनाएं!
ReplyDeletebhaayi jaan sbse pehle to akela ko akela ki bdhaayi or jo smiksha aapne likhi he iske liyen bhi bdhaayi sb jante he ke premchnd schche haalaton ke jivnt lekhk rhe hen unkaa sahity zindgi he koi klpna nhin or aapki smikshaa men schchaayi he bs aek bar or bdhaayi lekin zraa sochna aklaa pls akela braabr kyaa hogaa pliz farmulaa dekh kr btana intizaar rhegaa. akhtar khan akela kota rajsthaan
ReplyDeleteस्कूल के दिनों यह कहानी हमारे पाठ्यक्रम में थी, तभी पढ़ी थी, यादें ताज़ा हो गयी..
ReplyDeleteअच्छा विश्लेषण, लिखते रहिये ...
ye story mere class 4 me thi
Deletephadker maaza aa gaya
मैंने यह कहानी नहीं पढ़ी. आपकी समीक्षा से इसका ज्ञान हुआ. धन्यवाद.
ReplyDeleteजब पहली बार यह कहानी पढ़ी थी, अन्तरमन पर छा गयी थी। अभी भी कभी बच्चों को सुनाता हूँ, भावुक हो जाता हूँ।
ReplyDeleteJi bilkul sahi kaha!!
DeleteHum aapse puri tarah se sahmat hai...
Dhanyawad sir
Deleteaआपने अच्छी कहानी की अच्छी समीक्षा की है। प्रेम चंद की कहानियां जीवन के धरातल पर संवेदनाओं को समेटे रहती है। धन्यवाद।
ReplyDeleteJITNEE BADIYA KAHANEE UTNEE HEE BADIYA SAMEEKSHA LAGEE . YADE TAZAA HO AAEE.
ReplyDeletePREMCHANDJEE KEE EK AUR KAHANEE SHAYAD MANTR NAAM THA USAKA..JISME UNHONE EK GAREEB KEE UDARTA BADE HEE SARAL PAR SASHAKT TAREEKE SE APANA BETA KHO JANE PAR BHEE DR KE BETE KO BACHA LIYA........EK DUM NISWARTH BHAV SE............
SAMAY MILE TO AVASHY USAKEE BHEE SAMEEKSHA KARIYEGA.......
AABHAR
बहुत खूब साहिब, पर पहले के बालक आजकल के बालकों से जयादा होशियार थे - गरीबी सब कुछ सिखा देती है साहिब.
ReplyDeleteप्रेमचंद की इस अद्वितीय रचना का अच्छा विश्लेषण प्रस्तुत किया आपने.
ReplyDeleteबहुत सुंदर रुप से आप ने विश्लेषन किया, धन्यवाद
ReplyDeleteवाह जी, बचपन से पढ़ते आये जिस कहानी को, उसकी बढ़िया समीक्षा की आपने.
ReplyDeleteवाह जी !!!! एक तो प्रेमचंद जी की कहानी!!!!
ReplyDeleteतिस पर आप की समीक्षा!!! बचपन की यादे ज़िंदा करने के लिए शुक्रिया जी!!!
इस कहानी पर चली एक बहस का एक नमुना यहा देखा लीजिये !
ReplyDeletehttp://hindini.com/fursatiya/archives/30
यह कहानी अद्भुत मानवीय संवेंदना की कहानी है।
ReplyDeleteप्रेमचंद की तो बात ही अलग है ।
ReplyDeleteईदगाह कहानी की समीक्षा के लिए आभार वैसे अगर आपको याद हो ती वी पर भी ऐसा ही एक ऐ ड आता है शायद हेवाल्स केबल का जिसमे माँ रोटी बना रही है और उसका हाथ जलता देख उसका बेटा तार मोड़ कर चिमटा सा कुछ बनाता है जब भी उस ऐ ड को देखती हूँ ये कहानी मन में आ ही जाती है
ReplyDeleteईदगाह कहानी के साथ कई सुन्दर सन्दर्भ जुड़े हैं....
ReplyDeleteसुन्दर समीक्षा !
is kahani ko padi bhi hoon aur is par bani film bhi dekhi hoon par kai barsh gujar gaye magar aaj aapki samiksha padhkar phir kahani dimag me umad padi .badi sahajata se likha hai aapne sukoon mila padhkar .aap aaye mere blog par main aabhari hoon .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और शानदार समीक्षा लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती!
ReplyDeletechritr ke mnobhavo ko jb bhi ghre se smjha gya hai tb tb smikchha ke sath nyay hua hai . aap is ksauti pr khre utre hai.
ReplyDeletebdhai sweekar kre .
ये कहानी तो मुझे याद है,आपने बहुत ही अच्छी समीक्षा की है..जिसने नही पढ़ी वो जरूर पढ़ेगा...
ReplyDeleteईदगाह शीर्षक देखते ही उंगलीने कुद बखुद क्लिक कर दिया ये कहानी बचपन में पढी ही नही खेली भी है । अमीना बनकर कभी हामिद बनकर । आग में तो बहादुर ही कूदते हैं, मेरा शेर बहादुर चिमटा ! हामिद का भोलापन और उसकी हाजिर जवाबी मन को तब भी मोह लेती थी ।
ReplyDeleteईदगाह बाल मनोविज्ञान पर आधारित एक श्रेष्ठ कहानी है जिस पर समीक्षा देकर आपने कहानी की याद पुनः ताजा कर दी। आभार।
ReplyDeleteहरीश
Apne Samiksha bahut hi Achhe tarike se kiya hai.
ReplyDeleteMujhe pasand aaya. Happy Diwali greeting.
यह प्रेमचंद जी की सबसे बेहतरीन कहानीयों में से एक है |बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने |
ReplyDeletei agree
Deletejhbvjdffffgggggggggggggggjhvch
Deletegood
ReplyDeletebahut hi aacha i am same person as above
ReplyDeleteaapki samiksha me bhasha ke baare me bhi kuch baat karni thi aur samikasha bahut acchi hai
ReplyDeletethanks thanks thanks thanks thanks thanks thanks...." " " " " " " " " "" " " " " """ "
ReplyDeleteThank U very very much dude because I wanted this as my project.
ReplyDeleteआप कहानी का मर्म नहीं समझ पाएँ हैं
ReplyDeletethank u.. mujhe ye padna dha exam ke lie
ReplyDeletenice
ReplyDeleteKitna acha kahani Utna hi acha samiksha.
ReplyDeleteBravo
I am going to get marks 'coz of this only . So thanks
ReplyDeletethanks soo much ... no doubt i will get full mark .. thanks for this site .
ReplyDeletei just love this review....ty :)
ReplyDeletethnx for this summary no doubt i will get full marks in the project
ReplyDeleteशिखा माहेश्वरी १४ मार्च २०१६
ReplyDeleteसंक्षिप्त और सटीक विश्लेषण | सारांश पढ़कर कहानीकार के लेखनी की उत्कृष्टता
का बोध होता है |
sir! child psychology pr Prem chand ji ki gazab ki pakad thi....aur us zamane k 4-5 saal k child ka sense itna hota n=bhi tha..... apka blog pyara laga....sath bana rahe -Lori http://meourmeriaavaaragee.blogspot.in/
ReplyDeletemuje holiday homework me kopy karne ka chance mila
ReplyDeleteमाँ पकड़ती थी पैर और बाप करता था बेटी का रेप ! पढ़िये दर्दनाक सत्य घटना !
ReplyDeleteइतना जब्त इससे हुआ कैसे?
ReplyDeleteइसका क्या अर्थ है।
सर आपने समीक्षा बहुत सुंदर की पर हामिद के पास मात्र 3पैसे ही हैं।
ReplyDeleteGood summary
ReplyDeleteस इदगाह स कहानी मे 'स' का अर्थ
ReplyDeleteI think that Hamid have only 3 paise
ReplyDeleteYes
Deleteहामिद के पास 6 नहीं 3 पैसे थे !!
ReplyDeleteSir isko kathanak kya likhy
ReplyDeleteयह कहानी मैंने इससे पहले कभी नहीं पड़ी थी लेकिन आपकी समस्या को पढ़कर या कहानी मेरे दिल को छू गई है और बहुत ही अच्छा महसूस कर रहा हूं आपने इस कहानी की समीक्षा एकदम दिल खोलकर की है धन्यवाद
ReplyDeleteYe khani konse upnaayas me milti or konse page pr.
ReplyDeleteअच्छी समीक्षा की गयी है आपके द्वारा | लेखक द्वारा बच्चे की उम्र 4 से 5 मेरे ख्याल से भूल वश नहीं है | गरीबी उम्र से पहले परिपक्वता ला देती है
ReplyDeleteKoi bataega कहानी ka uddesya kya hai
ReplyDeleteइस कहानी का उद्देश्य हामिद के अपने दादी अम्मा अमीना के प्रति इसने और प्यार था इससे हमें यह सीख मिलती है कि चाहे कोई व्यक्ति कितना भी बड़ा या छोटा हो वह जिसे चाहता है उसे किसी भी प्रकार से तकलीफ में नहीं देख सकता है
DeleteWow bhiya thanks for my exam solutions... question tha idgah kahani ka uddeshya?
ReplyDeleteKeep it up 😁
Thank you very much for reviewing Idgah story
ReplyDeletethis is the best thing when all peoples accept this truthful reality that when they live without money and with money. The whole thing that defines a people to survive with happiness .👌😀😃##
ReplyDeleteHamid has sonly 3 paise.
ReplyDeleteमैंने इस कहानी को कक्षा पांचवी में 2011-12 में पढ़ा था और आज कॉलेज के फर्स्ट ईयर मैं इसके प्रश्न आए हैं मुझे आज अत्यंत खुशी हुई कि मैंने इस कहानी को आज से नौ 10 साल पहले ही पढ़ लिया था जय मैंने अपने झारखंड के स्कूल में पढ़ा था और आज छत्तीसगढ़ के कॉलेज में मुझसे फाइनल एग्जाम में के प्रश्न पूछे गए
ReplyDeleteHow to make money in casinos - Work Tomake Money
ReplyDeleteMoney slots are one of the best ways to get started, if you're serious about winning money at online casino sites, You 카지노사이트 can find 메리트카지노 all the free games หารายได้เสริม on
Thank you
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