कॉमनवेल्थ के चक्कर में आम जनता खासकर दिल्ली की जनता को जितनी परेशानी उठानी पड़ी है उसका हाल-ए-दिल बयां तो दिल्ली वासी ही कर सकते हैं, मैं भी इससे अछूता नहीं रहा। इतनी परेशानी उठाने के बाद अब भारत को नंबर वन देखना ही हर नागरिक की हसरत है। हाल-ए-दिल बयां कुछ इस तरह है:-
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
राशन भी महंगा हुआ,
पेट्रोल भी महंगा हुआ,
दूध और रसोई गई भी हुआ महंगा,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
ऑफिस का रास्ता बदला,
घंटों जाम में फंसा,
पार्किंग से भी किया समझौता,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
सुना है दर्शक नहीं आते,
तेरे इस महाखेल में,
इस घाटा पूर्ति का साधन
ना बन जाएँ हम,
फिर से सरकार के इस गेम में,
और क्या-क्या सहेंगे हम,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में।
कविता में मन का दर्द और व्यंग्य दोनों की झलक है।
ReplyDeleteव्यवस्था के प्रति दर्द तो है ही चाहे कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से ही उभर आए. अच्छी रचना.
ReplyDeleteदेश का आयोजन है। कुछ कष्ट तो उठाया, और प्यार से। बहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteमध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
Sundar aur samayik rachna.shubhkamnayen.
ReplyDeleteव्यंग है..... बड़ा सटीक और संवेदनशील....
ReplyDeleteसच में बहुत कुछ सहा है..... हर भारतीय के मन की बात कह डाली
वाकई क्या-क्या ना सहा हमने, ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में! बिल्कुल सही समय पर आई ये सटीक रचना।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteआप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteदेश का क्या क्या न बहा तेरे प्यार में।
ReplyDeleteकरना पडता है देश के लिये । अब देश की इज्जत बढेगी तो अचछा भी तो लगेगा ।
ReplyDeleteसार्थक लेखन के लिये आभार एवं "उम्र कैदी" की ओर से शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteजीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बना जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!
अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।
आपका शुभचिन्तक
"उम्र कैदी"
kya baat hai satya ji aap ki, aap ki kalam ab akeli nahin hai, es liye likho aur dil khol kar likho, tareef a kabil lekh hai aap ka, bahut - bahut shubh kamna
ReplyDeleteekdam theek baat likhi hai.
ReplyDeleteसही कहा है ... अगर देश की इज़्ज़त का सवाल न होता तो कौन इतना भ्रष्टाचार सहता .... पर क्या करें .... ये नेता भी मौके का फाय्दा उठाते हैं .....
ReplyDeletewaah sir...excellent job..:)
ReplyDeleteकॉमन वेल्थ तेरे प्यार में.. अच्छा लिखा है आपने। रोज अपने ब्लॉग का डैस बोर्ड देखता हूं। आपके ब्लॉग को फालो किया है हमने इस कारण डैस बोर्ड पर ही आपकी रचनाएं दिख जाती हैं। कई दिनों तक जब आपकी कोई रचना नहीं दिखीं तो आज सीधे आपके ब्लॉग पर आना पड़ा। कॉमनवेल्थ तेरे प्यार के बाद कहीं आप किसी और के प्यार में तो नहीं पड़ गए ना जनाब...।
ReplyDeleteमैंने कई ब्लॉग्स को अन-फॉलो किया था जो दो-तीन सप्ताह से कोई पोस्ट नहीं दे रहे थे. आपके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली. खुशी हुई कि अब आप स्वस्थ हैं. आपकी शिकायत मैंने दूर कर दी है. ब्लॉगिंग करते रहिए. हम प्रतीक्षा करेंगे. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteBHai saheb,
ReplyDeleteCorruption par comment sahi laga.Ia game mein jo kuchh bhi hua wah hame sharmashar kar deta hai. Satik post.
बढ़िया व्यंग !
ReplyDeletewah ji commenwealth ka badiya vivran..
ReplyDeletePls visit my blog..
Lyrics Mantra
thankyou
लाजबाब व्यंग्य ...शुक्रिया
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