October 7, 2010

ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में

कॉमनवेल्थ के चक्कर में आम जनता खासकर दिल्ली की जनता को जितनी परेशानी उठानी पड़ी है उसका हाल-ए-दिल बयां तो दिल्ली वासी ही कर सकते हैं, मैं भी इससे अछूता नहीं रहा इतनी परेशानी उठाने के बाद अब भारत को नंबर वन देखना ही हर नागरिक की हसरत है हाल-ए-दिल बयां कुछ इस तरह है:-

क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
राशन भी महंगा हुआ,
पेट्रोल भी महंगा हुआ,
दूध और रसोई गई भी हुआ महंगा,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
ऑफिस का रास्ता बदला,
घंटों जाम में फंसा,
पार्किंग से भी किया समझौता,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
सुना है दर्शक नहीं आते,
तेरे इस महाखेल में,
इस घाटा पूर्ति का साधन
ना बन जाएँ हम,
फिर से सरकार के इस गेम में,
और क्या-क्या सहेंगे हम,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में
क्या-क्या नहीं सहा हमने,
ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में

21 comments:

  1. कविता में मन का दर्द और व्यंग्य दोनों की झलक है।

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  2. व्यवस्था के प्रति दर्द तो है ही चाहे कॉमनवेल्थ गेम्स के नाम से ही उभर आए. अच्छी रचना.

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  3. व्यंग है..... बड़ा सटीक और संवेदनशील....
    सच में बहुत कुछ सहा है..... हर भारतीय के मन की बात कह डाली

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  4. वाकई क्या-क्या ना सहा हमने, ऐ कॉमनवेल्थ तेरे प्यार में! बिल्कुल सही समय पर आई ये सटीक रचना।

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  5. बहुत अच्छी प्रस्तुति। नवरात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  6. आप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.

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  7. देश का क्या क्या न बहा तेरे प्यार में।

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  8. करना पडता है देश के लिये । अब देश की इज्जत बढेगी तो अचछा भी तो लगेगा ।

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  9. सार्थक लेखन के लिये आभार एवं "उम्र कैदी" की ओर से शुभकामनाएँ।

    जीवन तो इंसान ही नहीं, बल्कि सभी जीव भी जीते हैं, लेकिन इस मसाज में व्याप्त भ्रष्टाचार, मनमानी और भेदभावपूर्ण व्यवस्था के चलते कुछ लोगों के लिये यह मानव जीवन अभिशाप बना जाता है। आज मैं यह सब झेल रहा हूँ। जब तक मुझ जैसे समस्याग्रस्त लोगों को समाज के लोग अपने हाल पर छोडकर आगे बढते जायेंगे, हालात लगातार बिगडते ही जायेंगे। बल्कि हालात बिगडते जाने का यही बडा कारण है। भगवान ना करे, लेकिन कल को आप या आपका कोई भी इस षडयन्त्र का शिकार हो सकता है!

    अत: यदि आपके पास केवल दो मिनट का समय हो तो कृपया मुझ उम्र-कैदी का निम्न ब्लॉग पढने का कष्ट करें हो सकता है कि आप के अनुभवों से मुझे कोई मार्ग या दिशा मिल जाये या मेरा जीवन संघर्ष आपके या अन्य किसी के काम आ जाये।

    आपका शुभचिन्तक
    "उम्र कैदी"

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  10. kya baat hai satya ji aap ki, aap ki kalam ab akeli nahin hai, es liye likho aur dil khol kar likho, tareef a kabil lekh hai aap ka, bahut - bahut shubh kamna

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  11. सही कहा है ... अगर देश की इज़्ज़त का सवाल न होता तो कौन इतना भ्रष्टाचार सहता .... पर क्या करें .... ये नेता भी मौके का फाय्दा उठाते हैं .....

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  12. कॉमन वेल्‍थ तेरे प्‍यार में.. अच्‍छा लिखा है आपने। रोज अपने ब्‍लॉग का डैस बोर्ड देखता हूं। आपके ब्‍लॉग को फालो किया है हमने इस कारण डैस बोर्ड पर ही आपकी रचनाएं दिख जाती हैं। कई दिनों तक जब आपकी कोई रचना नहीं दिखीं तो आज सीधे आपके ब्‍लॉग पर आना पड़ा। कॉमनवेल्‍थ तेरे प्‍यार के बाद कहीं आप किसी और के प्‍यार में तो नहीं पड़ गए ना जनाब...।

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  13. मैंने कई ब्लॉग्स को अन-फॉलो किया था जो दो-तीन सप्ताह से कोई पोस्ट नहीं दे रहे थे. आपके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिली. खुशी हुई कि अब आप स्वस्थ हैं. आपकी शिकायत मैंने दूर कर दी है. ब्लॉगिंग करते रहिए. हम प्रतीक्षा करेंगे. शुभकामनाएँ.

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  14. BHai saheb,
    Corruption par comment sahi laga.Ia game mein jo kuchh bhi hua wah hame sharmashar kar deta hai. Satik post.

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  15. बढ़िया व्यंग !

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  16. wah ji commenwealth ka badiya vivran..

    Pls visit my blog..
    Lyrics Mantra
    thankyou

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  17. लाजबाब व्यंग्य ...शुक्रिया

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तेजी से भागते हुए कालचक्र में से आपके कुछ अनमोल पल चुराने के लिए क्षमा चाहता हूँ,
आपके इसी अनमोल पल को संजोकर मैं अपने विचारों और ब्लॉग में निखरता लाऊंगा।
आप सभी स्नेही स्वजन को अकेला कलम की तरफ से हार्दिक धन्यवाद !!

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