January 18, 2010

गार्ड

'गार्ड ' नाम सुनते ही ,
आने लगता है नज़र ,
एक सुन्दर पोशाक
पहना हुआ वह व्यक्ति ,
जो खड़ा होता है
प्रवेश द्वारों पर , परिवार
के भरण - पोषण के लिए ,
सज - धज कर ।
शायद ,
इस फूल पर ,
नहीं पड़ी निगाह ,
किसी कांटे की ,
हुआ भी अच्छा ही ।
नहीं पड़ी निगाह
किसी कांटे की
वरना ........
बन जाता खतरा ,
इस तबके के
बचे - खुचे अस्तित्व पर ।

2 comments:

  1. bhai kasam se bahut hi behtarin likha hai, jin kavion ko hum kitabon padhte aaye hain, unki chhavi tumame dikhi

    ReplyDelete

तेजी से भागते हुए कालचक्र में से आपके कुछ अनमोल पल चुराने के लिए क्षमा चाहता हूँ,
आपके इसी अनमोल पल को संजोकर मैं अपने विचारों और ब्लॉग में निखरता लाऊंगा।
आप सभी स्नेही स्वजन को अकेला कलम की तरफ से हार्दिक धन्यवाद !!

Related Posts with Thumbnails